माफियागर्दी के कारण तहसील में जाने से डरते हैं किसान!

ABHISHEK AWASTHI

भदोही जनपद के ज्ञानपुर तहसील में अवैध रूप से तैनात लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी व इटहरा का भू-माफिया पूर्व लेखपाल की मनमानी, रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार के चलते तहसील प्रशासन की छवि भूमिल हो रही है।
किसानों की जमीन में हेरा फेरी करने के कारण शांतिप्रिय किसानों के बीच आपसी रंजिश बढ़ रही है। इनके द्वारा तहसील में कूटरचित दस्तावेज तैयार करके जमीन का बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है।
बताया जाता है कि उक्त लेखपाल और कानूनगो व इटहरा का भू-माफिया पूर्व लेखपाल द्वारा किसी की जमीन किसी और को दे दी गई। जमीन पर कब्जे को लेकर के आए दिन क्षेत्र में हिंसक उपद्रव और लड़ाई झगड़ा होता है। इस झगड़े का फायदा माफिया सरगना के गुर्गे उठा रहे हैं और क्षेत्र में अराजकता गुंडई माफियागर्दी को बढ़ावा मिल रहा है।
लोगों ने जिलाधिकारी से मांग की है कि ज्ञानपुर तहसील में तैनात लेखपाल सर्वेश शुक्ला और कानूनगो इंदू तिवारी को तत्काल निलंबित करके उनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा दर्ज कर ठोस कानूनी कार्रवाई की जाए। अन्यथा क्षेत्र के किसान भड़क गए तो तहसील प्रशासन में तालाबंदी हो सकती है। इनके काले कारनामों के कारण तहसील प्रशासन भ्रष्टाचार की चपेट में आ गया है और इनके अत्याचार अराजकता गुंडागर्दी के कारण जनता में त्राहि त्राहि मची हुई है। माफियाओं के आतंक से लोग डर के बारे तहसील में जाने से घबराने लगे हैं।
माफिया सरगना विजय मिश्रा गिरोह के साथ मिलकर भ्रष्टाचार और भारी घोटाला करने वाले कानूनगो और लेखपाल के अत्याचार, उत्पीड़न का नमूना यह है कि इन लोगों ने एक दलित व्यक्ति जो कि दोनों आंखों से दिव्यांग है। उस अंधे की जमीन को भी इन्होंने नहीं छोड़ा और उस पर कब्जा करवा करके उस पर अवैध बिल्डिंग बनवाकर गुंडागर्दी कर रहे हैं। लेखपाल और कानूनगो की मनमानी के चलते ज्ञानपुर तहसील में इनका समानांतर प्रशासन चल रहा है और यह सब नियम कानून के विरुद्ध कार्य करते हुए आम जनता का घोर उत्पीड़न कर रहे हैं।
जनपद भदोही, तहसील ज्ञानपुर, के ग्राम सभा इटहरा, के खेलकूद, कन्या पाठशाला एवं पंचायत भवन व ग्राम के दलित दिव्यांग मल्लू की जमीन को जेल में बंद माफिया विजय मिश्रा का गुर्गा इटहरा का भू-माफिया पूर्व राजस्व चाकर ने अपने रिश्तेदार लेखपाल सर्वेश शुक्ला के सहयोग से अपने बाप के नाम कराकर उस पर अपना साम्राज्य खड़ा कर लिया है। इन जालसाजों ने अपने जालसाजी के बल पर बची खूची ग्राम सभा की जमीन पर भी भैरोंलाल पुत्र आशाराम का भी मकान बनवाकरके योगी सरकार के कानून को ठेंगा दिखा रहा है।
यह जालसाज गांव के विभिन्न रकबो में विभिन्न लोगों का नाम डलवा देते हैं, फिर उसको निकलवाने का मनमानी मोटी रकम प्राप्त करते हैं। यहां ही नहीं रुका, ये चाकर गांव का दलित दिव्यांग मल्लू के बहुमूल्य किमती जमीन को भी अनाधिकृत रूप से कब्जा करके उस पर अपना व्यवसाय एवं काला साम्राज्य स्थापित कर लिया है। पिछले दिनों ग्राम सभा के सार्वजनिक बैठक में भी कब्जेदारो के काले कारनामे के विरुद्ध एक प्रस्ताव पारित हो चुका है। जिसमें भी इस भूमिया द्वारा इस दिव्यांग के जमीन एवं ग्राम सभा की जमीन कब्जा करने के विरुद्ध कार्रवाई का प्रस्ताव पारित हुआ है। दिव्यांग सहित पीड़ित ग्रामवासियो के द्वारा इस माफिया के विरुद्ध सैकड़ो प्रार्थना पत्र साक्ष्यों के द्वारा दिया गया लेकिन अभी तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
बताया जाता है कि ये जमीनखोर जेल में बंद कुख्यात माफिया पूर्व विधायक विजय मिश्रा के गिरोह के सक्रिय सदस्य हैं। गांव का बीसों बीघा कब्जा करने वाला फोर्थ क्लास का चाकर, राजवाड़ी जैसा अपना साम्राज्य बना लिया है। जिसमें परोक्ष व अपरोक्ष रूप से उपरोक्त माफिया का भी धन लगा है। यही लोग उक्त माफिया का आज भी धड़ल्ले से सिंडिकेट चला रहे हैं और योगी सरकार के कानून को भी धता बताकर काम कर रहे है। “इसी भूमाफिया एवं चाकर के फर्जी जमीन के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह जी ने भी सख्त रूप से कार्यवाही करने का आदेश दिया था।”
कानून को अपने ढंग से चलाने वाले फरेबी लेखपाल और कानूनगो ने राजस्व विभाग द्वारा पंचायत भवन के लिए आवंटित जमीन पर पंचायत भवन न बनवा करके अपने गिरोह के सदस्य भू माफिया से सांठ गांठ करके उसको दे दिया। कानून की आंख में धूल झोंकने ये फरेबी अपने गुंडई, रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचार, दबंगई के बल उस पंचायत भवन को गांव के ही शारदा प्रसाद आदि के भूमिधरी /निजी जमीन पर बनवा दिया है। योगी सरकार के चलाएं गए भूमाफियाओं के विरुद्ध अभियान में यह लेखपाल और कानूनगो माफिया के कब्जे वाले जमीन के बारे ना तो कोई कार्यवाही किया, न हीं अपने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया। इससे स्पष्ट होता है कि ये तीनों कुख्यात माफिया के गिरोह के सक्रिय सदस्य हैं।
इसी भूमाफियाओं एवं जालसाजों द्वारा गांव के ही पीड़ित/ भुक्तभोगी शारदा प्रसाद तिवारी आदि के जमीनों पर चकबंदी प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद वें बीसों साल से कास्त कर रहे थे, जिसमें इसने गलत ढंग से आदेश करा करके विपक्षियों का नाम चढ़वा दिया था, शासन प्रशासन को जानकारी होने पर उन लोगों का नाम काट करके, पुनः पीड़ित पक्षों का नाम दर्ज हुआ। इसके बावजूद भी उसमें खड्यंत्र कर रहा है। वर्तमान में भी इसने जिस भैरव लाल का ग्राम सभा की सरकारी जमीन पर घर बनवाया है उसी से हाईकोर्ट, DM, SDM, दीवानी न्यायालय के यहां मुकदमा विचाराधीन होने और दोनों पक्ष हाजिर होने के बावजूद कानून से ऊपर हो करके कब्जा करवाने का प्रयास करवा रहा है, और पीड़ित के अन्य रकबो में भी इसने दूसरे का नाम फर्जी ढंग से दर्ज करवा दिया है। भुक्तभोगियों का यह भी कहना है कि ये आए दिन धमकी देता है कि जो मैं कहूं मान लो अन्यथा महंगा पड़ेगा, हमारे बल को तुमने देखा मैंने तुम्हारे विपक्षी के सिर्फ एक-दो लोगों का और तुम लोगो के दर्जनों लोगों को धारा 126/135 B.N.S.S. में फंसवा दिया, वास्तव में उपरोक्त भुक्तभोगियों के बताने एवं उपरोक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखा जाए तो स्पष्ट रूप से लगता है कि उपरोक्त हल्का लेखपाल एवं कानूनगो हाईकोर्ट एवं न्यायालय से बड़े दिखाई दे रहे हैं।
ये राजस्वकर्मी सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए क्षेत्र में भयानक अराजकता फैलाए हुए हैं। रिश्वतखोरी के बल पर इन लोगों ने करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति जमा कर रखी है। आय से अधिक संपत्ति इकट्ठा करने के कारण इन सब को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया जाना चाहिए। लेकिन रिश्वतखोरी के बल पर करोड़ों रुपए की बेनामी संपत्ति बटोरने वाले इन लेखपाल और कानूनगो व इसके सदस्य के विरुद्ध बार-बार शिकायत किए जाने के बाद कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण इनके हौसले बुलंद है। सरकारी कानून की धज्जियां उड़ाते हुए कूटरचित दस्तावेज तैयार करके हेरा फेरी करने के मामले में ये सिद्धहस्त हैं और अधिकारियों के फर्जी आदेश तैयार करके क्षेत्र के काश्तकारों का भयानक उत्पीड़न कर रहे हैं। किसी भी किसान की जमीन का फर्जी पत्रावली का कागज तैयार करके दूसरे के नाम कर देना, इन लोगों के लिए बाएं हाथ का खेल है। राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी करके यह लोग करोड़ों रुपए की अवैध संपत्ति अर्जित कर चुके हैं।
यह कितने बड़े आश्चर्य की बात है कि जिस लेखपाल और कानूनगो और इसके सदस्यो के विरुद्ध भ्रष्टाचार की प्रामाणिक शिकायतें हो। उसके बावजूद उसे आज तक निलंबित नहीं किया गया! न ही उसके विरुद्ध एफआईआर दर्ज करके कोई कार्रवाई की गई। इससे सरकार की छवि खराब हो रही है। लोगों में गलत संदेश जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में लेखपाल और कानूनगो का राज चल रहा है। यह लोग मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे जीरो टॉलरेंस अभियान की धज्जियां उड़ाते हुए रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को धुआंधार बढ़ावा दे रहे हैं। जिससे जनता में भारी रोष व्याप्त है। तहसील प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है।

By admin

LIVING JOURNALISM FOR PAST DECADES...24X7, ITS PASSION; IRRESPECTIVE OF MONETARY GAINS OR LOSS

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